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Showing posts from October, 2020

दसरे के पावन अवसर पर श्री महासरस्वती और श्री सरस्वती पूजन भी महाराष्ट्र में होता है।

मुझे बचपन से विजय दशमी के दिन एक चिह्न तथा खिंची हुई प्रतिमा हमेसा दिखाई देती थी। उस चित्र तथा प्रतिमा का कोई अर्थ मुझे समझ नही आता था मित्रों तथा परिजनों के साथ इस विषय पर चर्चा कर इसके प्रति कोई जानकारी नही मिली। मैंने इस दसरा पर मेरे पुणे के एक दोस्त से चर्चा करने पर इस चित्र के बारे में जानकारी मिली है। क्यो यह रेखांकन कीजा जाता है? इसके प्रति क्या मान्यताये है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर मैं आपके साथ सांझा करना रहा हु। इस जानकारी में कोई कमी या गलती लगे तो हमे कॉमेट बॉक्स में इस के प्रति जानकारी अवगत कराएं। यह प्रतिकृति तथा चिह्न श्रीमहासरस्वती एवं श्रीसरस्वती संदर्भित है जो विजयादशमी के दिन की जाती है। यह श्रीमहासरस्वती एवं श्रीसरस्वती पूजन दसरे के दिन होता है। दसरे के पावन अवसर पर श्री महासरस्वती और श्री सरस्वती पूजन भी महाराष्ट्र में किया जाता है। पूजा के लिए माता के सामने के स्थान पर या किसी पत्थर के लिखने वाले चीज पर दिए गए चित्रों को श्रद्धा से पत्थर के पृष्टभूमि पर खिंचा जाता है और दिल से माता की पूजा की जाती है। वैसे तो यह दोनों तस्वीरों को साथ-साथ पत्थर के पृष्ठभूमि वाल...

महाराष्ट्र में दसरे के दिन सोना यानी शमी की पत्तियां☘ क्यो बाटे है?

 आप सभी को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं।  हमारे बहुत सारे मित्रों द्वारा मुझे पूछे जाने वाला एक प्रश्न कि महाराष्ट्र में दसरे के दिन सोना यानी शमी की पत्तियां☘ क्यो बाटे है? मुझे इस प्रथा के पीछे दो तरह के कारण दिखाई दिए है। पहला कारण मान्यताओं से जुड़ा है  दूसरा यह कि यह वैज्ञानिक्ता से जुड़ा है। विजयादशमी पर रावण दहन के बाद कई प्रांतों में शमी के पत्ते को सोना समझकर देने का प्रचलन है। कई जगहों पर इसके वृक्ष की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं क्यों पूजनीय है यह वृक्ष। अश्विन मास के शारदीय नवरात्र में शक्ति पूजा के नौ दिन बाद दशहरा अर्थात विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक इस पर्व के दौरान रावण दहन और शस्त्र पूजन के साथ शमीवृक्ष का भी पूजन किया जाता है। संस्कृत साहित्य में अग्नि को 'शमी गर्भ'के नाम से जाना जाता है।  हिंदू धर्म में विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष का पूजन करते आए हैं। खासकर क्षत्रियों में इस पूजन का महत्व ज्यादा है। महाभारत के युद्ध में पांडवों ने इसी वृक्ष के ऊपर अपने हथियार छुपाए थे और बाद में उन्हें कौरवों से जीत प्राप्त हुई...